मैं कोई मुल्क नहीं हूं कि जला दोगे मुझे
कोई दीवार नहीं हूं कि गिरा दोगे मुझे
कोई सरहद भी नहीं हूं कि मिटा दोगे मुझे
यह जो दुनिया का पुराना नक्शा
मेज पर तुमने बिछा रक्खा है
इसमें कावाक लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं
तुम मुझे इसमें कहा ढूंढते हो
मैं इक अरमान हूं दीवानों का
सख्त—जां ख्वाब हूं कुचले हुए इंसानों का
लूट जब हद से सिवा होती है
जुल्म जब हद से गुजर जाता है
मैं अचानक किसी कोने में नजर आता हूं
किसी सीने से उभर आता हूं आज से पहले भी तुमने मुझे देखा होगा
कभी मशरिक में कभी मगरिब में
कभी शहरों में कभी गौवों में
कभी बस्ती में कभी जंगल में
मेरी तारीख ही तारीख है, जुगराफिया कोई भी नहीं
और तारीख भी ऐसी जो पढ़ाई तो जा नहीं सकती
लोग छुप—छुप के पढ़ा करते हैं
कि मैं गालिब कभी मगलूब हुआ
कातिलों को कभी सूली पे चढ़ाया मैंने
और कभी आप ही मसलूब हुआ
फर्क इतना है कि कातिल मेरे मर जाते हैं
मैं न मरता हूं न मर सकता हूं
धर्म ऐसा शाश्वत विद्रोह है, जो न मरता है, न मर सकता है। लौट—लौट आता है। एक बुद्ध बिदा होता है कि तुम जल्दी ही फिर अपनी नींद में खोने लगते हो। तुम जल्दी से अपनी चादर ओढ़ लेते हो, अपने तकिए सम्हाल लेते हो, तुम फिर निश्चित होकर सपना देखने लगते हो। लेकिन किसी न किसी कोने से बगावत फिर उभर आती है। किसी न किसी कोने से परमात्मा फिर आवाज देता है। परमात्मा तुम से हारता नहीं। और परमात्मा तुम से ऊबता भी नहीं। और परमात्मा तुम्हारे प्रति उपेक्षा से भी नहीं भरता है। तुम लाख भटको, तुम्हारी हर भटकन उसके लिए एक चुनौती है। वह फिर लौट आता है।
कृष्ण ने कहा न गीता में, मैं फिर—फिर आऊंगा—संभवामि युगे—युगे। जब—जब अंधेरा होगा, और जब—जब लोगों का मन धर्म के प्रति ग्लानि से भर जाएगा, और जब—जब शुभ पर अशुभ की प्रतिष्ठा होगी, और जब—जब सज्जन को असज्जन सताएगा, मैं आऊंगा। यह कृष्ण का ही वचन नहीं है, कृष्ण धर्म की तरफ से बोल रहे हैं। कोई कृष्ण आ जाएंगे, ऐसा नहीं है, लेकिन किसी कोने से धर्म उभर आएगा, बगावत उठेगी, कोई न कोई सोयों में से जाग जाएगा, कहीं से किरण फूटेगी।
धर्म न तो मरता है, न मारा जा सकता है; लेकिन जिन्हें भी धर्म को पाना हो, उन्हें यह स्मरण रखना चाहिए कि धर्म जब भी आता है तो विद्रोह की तरह आता है। विद्रोह के ही रूप में आता है। वही उसकी देह है। और अगर तुम विद्रोह को न पहचान सको तो तुम धर्म से चूकते चले जाओगे। तुम गीताओ में सिर मारो और कुरानों की पूजा करो और बाइबिलों में आखें गड़ाए—गड़ाए अंधे हो जाओ, धर्म तुम्हें नहीं मिलेगा। धर्म जब आता है तब बगावत की तरह आता है। गीता, कुरान और बाइबिल कभी बगावत थे, मगर वह बात गई। अब तुम लाश ढोते हो। अब तुम्हें फिर कहीं खोजना होगा कोई जो जागा हुआ हो। तुम्हें फिर किसी क्राइस्ट का हाथ पकड़ना होगा। और कठिनाई यही है कि बाइबिल प्यारी लगती है और क्राइस्ट बहुत कष्टकर मालूम होते है।
बाइबिल प्यारी लगती है क्योंकि बाइबिल तुम्हें बदल ही नहीं सकती। तुम बाइबिल का तकिया बना लेते हो और मजे से सो जाते हो। सर्दी ज्यादा हो तो बाइबिल का कंबल बना लेते हो और ओढ़ लेते हो, मजे से सो जाते हो। क्राइस्ट का न तो तुम तकिया बना सकोगे और न कंबल बना सकोगे। अगर नींद न आती हो तो तुम बाइबिल की गोलियां बना लेते हो—शामक दवाएं, टैरक्युलाइजर्स—और उनको पीकर सो जाते हो, और गहरी नींद मे खो जाते हो। तुम जीसस का टैरक्युलाइजर न बना सकोगे। तुम जीसस से नींद का कोई उपाय न खोज सकोगे।
इसलिए लोग जीवित सदगुरु से भागते हैं। और जब सदगुरु मर जाता है तब उसकी पूजा करते हैं। अजीब रिवाज है। अजीब रिवाज है तुम्हारा! अजीब ढंग है! अजीब ढर्रा है तुम्हारा! क्राइस्ट मौजूद हों तो सूली लगाओ, और जब मर जाएं तो सारी दुनिया ईसाई हो जाती है। मोहम्मद जब हों तो तुम उन्हें एक गांव में शांति से नहीं बैठने देते—मोहम्मद की जिंदगीभर एक गांव से दूसरे गाव में भागने मे बीती। और जब मोहम्मद मर जाते हैं, तो तुम लाखों मस्जिदें बनाते हो। करोड़ों लोग मोहम्मद के चरणों में सर झुकाते है। करोड़ों लोगो के लिए मोहम्मद हृदय की गहरी से गहरी धुन हो जाते हैं। मगर यह बड़ा मजा है। इस मजे को देखो, पहचानो।
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